कृषि परिवर्तन का नया अंक,
किसान ही पेश कर सकता है आत्मनिर्भरता का उदाहरण. किसान की जमीन में वह सब पैदा होता है जो हम खाने में, पहनने में, ओढ़ने में, बिछानेमें उपयोग करते हैं. हर वो महत्वपूर्ण चीज़ जो हम इस्तेमाल करते हैं वो खेतों से ही निकलती है और यहीं से आत्मनिर्भरता की मिसाल शुरू होती है. हमारे पूर्वज और अभी के किसानों में बस यही अंतर है कि हमारे पूर्वज ‘आत्मनिर्भर किसान’ थे जबकि आज के किसान दूसरों पर निर्भर ‘पराधीन किसान’ हैं. आज का किसान हर वस्तु के लिए बाज़ार पर निर्भर है और यही उसकी परेशानी और क़र्ज़ मफँसने का सबसे बड़ा कारण है. यदि आज का किसान चाहे तो अभी भी इन जंजालों से मुक्त हो सकता है. करना यह होगा कि हमको हमारे पूर्वजों के तरीको को अपनाना होगा और उसमें आज के आधुनिक यंत्रों का समावेश करके आप आत्मनिर्भर बन सकते हैं. सबसे पहले तो आपको अपने परिवार के लिए सभी खाद्य सामग्री अपने ही खेत में पैदा करनी होगी. बाज़ार से आप ऐसी कोई भी सामग्री नहीं लएँगे जो आपके खेत में पैदा हो सकती हो, फिर चाहे वो सब्जी हो, अनाज हो, या दाल हो. ये सब चीज़ें आपको बाज़ार से नहीं लाना है. आपको सभी तरह की फसल अपने खेत में लगाना है और एकल फसल प्रणाली को छोड़कर पूर्वजों की मिश्रित खेती को अपनाना है, तभी आप आत्मनिर्भर किसान बन पएँगे.ेंांें . ़